रविवार, 9 नवंबर 2008

भारत को भी चाहिए एक ओबामा

अमेरिका ने अपने सर्वोच्च और सबसे ताकतवर पद पर एक अश्वेत को चुनकर २१वीं सदी में एक नई क्रांति की है। अमेरिका के पीछे चलने वाले भारत को भी अब इस तरह का उदाहरण पेश करना चाहिए। क्या भारत में कोई बन सकता है ओबामा ? इस विषय पर एनडीटीवी के एंकर रवीश जी ने बहुत ही उम्दा कार्यक्रम पेश किया। हालाँकि , इसमे शामिल किसी भी गेस्ट ने यह नहीं माना कि अभी भारत में कोई ओबामा बन सकता है ।

गुरुवार, 16 अक्तूबर 2008

रविवार, 12 अक्तूबर 2008

श्री गणेश यूँ ही ...




सोचा तो यह था की किसी विचारोत्तेजक विषय से इस ब्लॉग पर लेखन की शुरुआत करूंगा, लेकिन लिखने के मामले में बेहद आलसी होना सबसे बड़ी बाधा रही। यह आलस किस कदर हावी रहा, इसका अंदाजा आप इसी बात से लगा सकते हैं की फरवरी २००८ में इस ब्लॉग की रचना के बाद आज ११ अक्टूबर २००८ को मैं इस पर पहला पोस्ट डाल रहा हूँ । इस की शुरुआत बस यूँ ही। इस बीच कई बड़ी घटनाएँ हुईं। कोसी के कहर ने उत्तरी बिहार को बर्बाद कर दिया, दिल्ली में आतंकवादियों के एनकाउंटर को लेकर हंगामा बरपा। खासकर कोसी की बाढ़ के दौरान लगा की अब तो कुछ लिखना ही पड़ेगा, लेकिन अपने लिए वक्त निकलना मुश्किल ही रहा। बाढ़ मेरी सम्वेदनाओं को ज्यादा इस लिए झकझोरती है क्योंकि मेरा गांव भी अक्सर राप्ती की बाढ़ से प्रभावित रहता है और बाढ़ के कई खौफनाक मंजर मैंने अपनी आंखों से देखे हैं। अपने गांव के बाढ़ की भयानक सूरत का वर्णन किसी अगले पोस्ट में करूंगा । फिलहाल तो हाल यह है की पूरी दुनिया की अर्थव्यवस्था भयानक मंदी की चपेट में है । भारत में शेयर बाज़ार धराशायी हो चुके हैं , रुपये में रिकॉर्ड गिरावट हो चुकी है, औद्योगिक उत्पादन में भारी गिरावट आयी है और पूरे माहौल में हताशा है । ऐसा कब तक चलेगा और ऐसे में पैसा कहाँ लगायें, इसके बारे में जानकारों की राय अलग-अलग है। इससे हिन्दी के कुछ पत्रकारों को शेयर बाजारों को गाली देने का नया मौका मिल गया है। हिन्दी के कुछ पत्रकार क्यों डरते हैं शेयर बाज़ार और टेक्नोलॉजी से , बिजनेस पत्रकारिता के बारे में किस तरह से उनकी सोच है दोहरी, इस पर चर्चा किसी अगले पोस्ट में करूंगा। तो सभी बड़ों से आशीर्वाद और छोटों से दुआ की कामना के साथ आज इस ब्लॉग का श्री गणेश कर रहा हूँ।