रविवार, 5 जनवरी 2014

'आप' की नीति
ईस्ट इंडिया कंपनी का जमाना
कब का गया साहब

दिल्ली में आम आदमी पार्टी के उभार और उसके लोकलुभावन कदमों
से शेयर बाजार में निवेश करने वाले एफआईआई बेचैन हैं। खासकर
बिजली कंपनियों के ऑडिट और टैरिफ में कटौती जैसे आप के कदमों
से निवेशकों में डर समा गया है। दिल्ली सरकार के लोकलुभावन कदमों
और आप के कॉरपोरेट विरोधी चरित्र की वजह से पूरा कॉरपोरेट सेक्टर
सहमा हुआ है। असल में आम आदमी पार्टी का विकास एक एनजीओ
की बुनियाद पर हुआ है और उसके कार्यकर्ताओं में गरीब-गुरबे से लेकर
अच्छी सैलरी कमाने वाले मध्यम वर्गीय नौजवान तक शामिल हैं। इसके
विचारकों में समाजवादी और वामपंथी धारा के लोग ज्यादा दिखते हैं,
इसलिए इसका चरित्र कंपनी, कॉरपोरेट विरोधी ज्यादा दिख रहा है। पर
आप को समझना होगा कि देश को ईस्ट इंडिया कंपनी के चंगुल से बाहर
हुए जमाना हो गया है और आज 'कंपनी' का वैसा शोषक चरित्र नहीं
है जैसा कि ईस्ट इंडिया के जमाने में रहा है। आज अगर कुछ कंपनियां
जालसाजी, चोरी, बेईमानी या शोषण में लिप्त पाई गई हैं तो ज्यादातर
कंपनियों ने देश-विदेश के करोड़ों नौजवानों को रोजगार भी दिए हैं, उन्हें
पेशेवर बनाया है। सच तो यह है कि धीरूभाई अंबानी जैसे गुजरात के
एक आदमी ने अपनी मेहनत से देश की सबसे बड़ी निजी कंपनी खड़ी
की है। इसलिए आम आदमी पार्टी को समूचे कंपनी, कॉरपोरेट जगत को
चोर-बेईमान समझने की मानसिकता से बाहर निकलना होगा। हाल में
कॉरपोरेट जगत के कई बड़े अधिकारियों के आप ज्वाइन करने के बाद
उम्मीद है कि पार्टी में कॉरपोरेट के बारे में समझ थोड़ी बढ़ेगी।
(बिज़नेस भास्कर में मेरे द्वारा लिखा गया सम्पादकीय)