मंगलवार, 11 अगस्त 2015

जीवन दर्शन

खुशी

हर दिन, हर पल


खुश रहने के लिए कुछ पाने की दरकार नहीं होती। अपने जीवन में खुशियां लाने के लिए दूसरों से तुलना छोड़कर हर परिस्थिति में वर्तमान का आनंद लेना होगा...

-आपको जीवन में क्या चाहिए?
- नियमित मोटी आमदनी, बड़ा-सा मकान, बड़ी गाड़ी और क्या?  
- और खुशी?
- खुशी! पैसा रहेगा तो खुशी अपने आप आ जाएगी...।
ज्यादातर लोग ऐसा ही सोचते हैं। पर सच यह है कि यह पूरी तरह सही नहींहै। धन-संपदा आने के बाद भी खुशी नहीं आ पाती। अगर पैसे से ही खुशी खरीदी जा सकती तो डिप्रेशन को 'अमीरों की बीमारी' नहीं कहा जाता। तब खुशहाली की सूची में भूटान जैसे गरीब देश शीर्ष पर नहीं होते। फिर कैसे आ सकती है खुशी? ज्यादातर लोगों के दुखी रहने की वजह क्या होती है? आइए इसका विश्लेषण करते हैं।
क्या है दुख की वजह
ज्यादातर लोग दुखी इस वजह से रहते हैं, क्योंकि उनका जीवन तमाम तरह की समस्याओं से घिरा होता है। अगर नौकरी करते हैं तो महीने के अंत में पैसे के मामले में हाथ तंग हो जाता है। कोई इसलिए दुखी है कि मकान नहीं बनवा पा रहा, किसी की बेटी की शादी नहीं हो रही, तो कोई इसलिए दुखी है कि उसके पास कार नहीं है और उसे लोकल ट्रेन या बसों में धक्के खाने पड़ते हैं, तो कोई अपने परिवार के किसी सदस्य की बीमारी की वजह से परेशान है। सवाल उठता है कि जीवन में इतनी समस्याओं के होते हुए लोग खुश कैसे रहें? इस बारे में आठवीं सदी के भारतीय संत शांतिदेव ने बहुत अच्छी बात कही है। उन्होंने कहा था, 'अगर आप किसी समस्या से परेशान हैं तो उसके बारे में गहराई से चिंतन कीजिए कि क्या वह समस्या हल हो सकती है? अगर हां में उत्तर आता है, तो फिर चिंता किस बात की। आप उसे हल करने का प्रयास कीजिए। लेकिन अगर चिंतन में आपको लगता है कि वह समस्या हल ही नहीं हो सकती, तब भी चिंता किस बात की? चिंता करने से समस्या हल तो नहीं हो जाएगी।'
ज्यादातर लोग दुखी इसलिए भी रहते हैं, क्योंकि वे अपने जीवन का विश्लेषण करते वक्त दूसरों से उसकी तुलना करते हैं। उन्हें अपना धन-संसाधन कम लगता है। हमेशा कोई न कोई ऐसा उदाहरण मिल जाता है, जो उनसे ज्यादा धनी होता है, जिसके पास उनसे बड़ी कार होती है। संसाधन जुटाने के लिए जी-तोड़ मेहनत करने में कोई बुराई नहीं हैं। धन और तमाम भौतिक चीजें जुटाने और उनका उपभोग करने में भी कोई बुराई नहीं, सवाल बस इतना है कि यह सब करते हुए भी अपने मौजूदा जीवन से खुश कैसे रहें?
आपको कितना पैसा मिल जाए तो आप खुश रहेंगे? इस सवाल पर ज्यादातर लोग ऐसी सोच रखते हैं कि अपना मकान हो जाए या बिटिया की शादी हो जाए या अच्छी नौकरी मिल जाए या बेटे-बेटी का इंजीनियरिंग/मेडिकल में सलेक्शन हो जाए, उसके बाद ही घर में असली खुशी आएगी। पर असली खुशी ऐसे लोग अपने घर में कभी नहीं ला पाते, क्योंकि उन्होंने खुशी के लिए तमाम शर्तें और बंदिशें लगा रखी हैं और किसी न किसी बात पर दुखी रहना उनकी आदत में शुमार हो चुका है।
क्या आप हैं परम दुखियारे
कुछ लोग सदाबहार दुखियारे होते हैं। उनके पास कार, मकान, अच्छी नौकरी, संतान सब कुछ होते हुए भी वे दुखी रहते हैं, क्योंकि किसी के पास उनसे बड़ी कार है, तो किसी की तुलना में उनका मकान छोटा है। ऐसे सदाबहार दुखियारे लोगों को खुश करना मुश्किल होता है। अगर आप भी ऐसे लोगों में शुमार हैं, तो सुबह उठिए और शीशे में अपना चेहरा देखिए। क्या आप खुद अपना चेहरा देखकर खुश हो रहे हैं? कहीं आप खुद से ही असंतुष्ट तो नहीं लग रहे हैं। याद कीजिए, आप पिछली बार कब हंसे थे? आप दिन भर में कितनी बार हंसते हैं? ऐसा तो नहीं कि जब कोई टीवी कार्यक्रम देखकर लोग दिल खोलकर हंस रहे होते हैं, तब भी आप ऐसी फीकी-सी हंसी हंसते हैं, जैसे आपको हंसने के लिए कोई मजबूर कर रहा हो? पार्टियों में जब तेज आवाज में म्यूजिक बज रहा हो, डीजे फ्लोर पर लोग कूद-फांद कर आनंद ले रहे हों, तब भी आपके पैरों में कोई कंपन नहीं होता?
सफलता कितनी भी मिल जाए, वह तुलनात्मक ही होती है। आप कितना भी पैसा क्यों न कमा लें, आप एग्जाम में कितने भी अंक क्यों न हासिल कर लें, आपसे ज्यादा पैसा कमाने वाला या आपसे ज्यादा अंक लाने वाला कोई मिल ही जाता है। सोचिए, अगर आपके हिसाब से कम पैसा कमाने वाले लोग दुखी रहने लगें, तो दुनिया में खुश रहने का अधिकार तो सिर्फ बिल गेट या वारेन बफे को ही होगा। आपके हिसाब से तो बाकी लोगों को दुखी रहना चाहिए। अगर आप खुश रहना चाहते हैं तो आपको यह समझना होगा कि आप जीवन में तमाम अभावों और भौतिक सुखों के बिना भी खुश रह सकते हैं।
कैसे रहें खुश
पहले तो आपको इस पर गहराई से चिंतन करना होगा कि खुशी होती क्या है? अमेरिका के मशहूर मोटिवेशनल लेखक डेनिस वेटली ने कहा है कि खुशी कोई ऐसी चीज नहीं है, जिसे आप कहीं जाकर खरीद या उपभोग कर सकते हैं। वह तो हर क्षण प्यार, शिष्टता और कृतज्ञता के साथ जीने से मिलती है। यह एक आध्यात्मिक अनुभव होती है। जीवन में खुशी इस बात से नहीं आती कि आपने कितना कुछ हासिल कर लिया, बल्कि खु
शी इस बात से आती है कि आप उसे कितना महसूस करते हैं। जीवन में आनंद को कितनी जगह देते हैं।
खुश रहने के लिए किसी अच्छे दिन का इंतजार न करें। मशहूर फारसी दार्शनिक और शायर उमर खैयाम ने कहा था, 'इसी क्षण खुश हो जाएं, क्योंकि यही क्षण आपका जीवन है।` हर दिन कुछ मिनट ऐसी चीजों के बारे में जरूर सोचें, जिनसे आप खुश हो सकते हैं। इन मिनटों में आप अपने जीवन के सकारात्मक चीजों पर ध्यान केंद्रित करेंगे और इनसे आपको लगातार खुशहाल जीवन जीने में मदद मिलेगी।
अगर आप समझते हैं कि आप खुश रह सकते हैं, तो अपने आसपास खुश रहने वालों को साथ रखें। यदि कुछ गलत हो जाए तो किसी को दोषी ठहराने की जगह समाधान निकालने की कोशिश करें। पहले इस बात पर भरोसा करें कि आप खुशी पा सकते हैं। इसके बाद खुशी पाने की ओर बढ़ें। यह मानना छोड़ दें कि खुशी तो नसीब की बात होती है और यह सबको नहीं मिलती।
दिनेश अग्रहरि

कोई टिप्पणी नहीं: